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लेखनी कहानी -03-Oct-2022 दैनिक प्रतियोगिता कुदरत का करिश्मा

कुदरत का करिश्मा
कविता / गीत 


कल कल बहती नदियां झरने
मंद-मंद पवन के झोंके चलते
कुदरत का करिश्मा ही तो है
धरा पर बसंत बहार जब आए
रंग बिरंगे फूलों से धरती श्रृंगार करे
खुशबू से चमन महकता जाए
नीला आसमान जब भी देखा
मन ऊंची उड़ान भरने को उत्सुक
सागर की लहरों में समाए अनगिनत
ख्वाब जैसे चुन लाते हैं मोती
झिलमिल रोशनी सितारों की
स्वर्ग का एहसास कराती है
अनोखी अलबेली प्रकृति
कुदरत का करिश्मा दिखलाती है


स्वरचित एवं मौलिक रचना

     अनुराधा प्रियदर्शिनी
     प्रयागराज उत्तर प्रदेश

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9 Comments

Bahut khoob 💐🙏🌺

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Khan

06-Oct-2022 11:51 PM

Bahut khoob 🙏🌺

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Gunjan Kamal

05-Oct-2022 06:20 PM

शानदार प्रस्तुति 👌🙏🏻

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